'V' टाइप नर्सरी एवं प्रत्यारोपण उत्पादन

    ज्यादातर सब्जी फसलों की सफल पौध तैयार करने के लिए पारंपरिक तरीके से खुले में नर्सरी बैड तैयार किए जाते हैं। हाइब्रिड बीज होने की बजह से सब्जियों के बीज अधिक महंगे होते हैं इसलिए स्वस्थ नर्सरी प्रत्यारोपण का सफल उत्पादन विभिन्न प्रकार के ग्रीनहाउस में मुख्य रूप से प्लग ट्रे में प्रत्यारोपण करते हैं। इस प्रणाली में बीज को प्रत्येक सेल में उगाया जाता है। इसलिए पौधे एक समान रूप से बढ़ते हैं। मिश्रण और मृदा को स्टरलाइज करने, मीडिया भरने, एवं पौधों को लगाने के लिए कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है।


v type nursery के लाभ

  • एक समान अंकुरण की प्राप्ति।
  • रोग रहित पौध की प्राप्ति।
  • विसंक्रमित माध्यम में बीज रोगों से मुक्त रहता है।
  • संकर बीजों का फलोत्पद उपयोग।
  • मिश्रण को बनाने और मिलाने में आसानी।
  • अच्छा जल निकास और नमी बनाये रखने में सहायक।
  • उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादन।


ट्रे का चयन

    सेल का आकार प्रत्यारोपण विशेष रूप से कार्य क्षेत्र को प्रभावित करती है। जब पौधों को बड़ी सेल में उगाया जाता है तो इसमें परिपक्व प्रत्यारोपण में जडों के बिना टूटे उत्पादन सम्भव है। सामान्य ट्रे में पौधे बड़े ट्रे से पहले परिपक्व दिखाई देने लगते हैं जबकि बडे सेल गीनहाउस में अधिक जगह घेरते हैं और उगाने के लिए अधिक मंहगे होते हैं।

सब्जियों के लिए प्रो ट्रे का आकार

क.सं.

सब्जी फसलें

कैविटी का आकार (इंच में)

जल्दी उत्पादन के लिए कैविटी का अनुकूलतम आकार (इंच में)

1

टमाटर

1.5 -4.0

3.0

2

बैंगन

1.5 -4.0

3.0

3

शिमला मिर्च

1.0-4.0

2.0

4

मिर्च

1.0-3.0

2.0

5

कदू वर्गीय

1.5-4.0

3.0

पौध उगाने का माध्यम

    पौध उगाने का माध्यम या मिट्टी रहित मिश्रण सामान्यतः पीट, वर्मीकुलाइट, और परलाइट, के माध्यम के संयोजन से बना है। पीटयुक्त माध्यम में लम्बे रेशे, बेहतर, जल निकास, और हवा का संचार होता है, इसलिए जड़ों का विकास अच्छा होता है।

उत्पादक इस माध्यम की और क्यों बढ़ रहे हैं

  • मिट्टी से लगने वाले कीट एवं रोगों को नियन्त्रण करने में कठिनाई और अधिक लागत आती है।
  • मृदा लवणता की अधिक होना
  • उपजाऊ मिट्टी का अभाव
  • पानी की कमी
  • खेती योग्य क्षेत्र में बाधा
पौध उगाने वाले माध्यम के लक्षण
  • बहुत ही हल्का होता है।
  • खरपतवार के बीज, निमेटोड और मृदा जनित रोगों से मुक्त होता है।
  • उचित जल निकास एवं वायुसंचार।
  • घुलनशील लवणों में कमी और पर्याप्त ई.सी.।
  • जैविक और रासायनिक जीवाणुनाशन में स्थिरता।

पौध उगाने के माध्यम के प्रकार

    पौधे मिट्टी के माध्यम के बजाय एक ठोस, निष्क्रिय गैर निष्क्रय माध्यम में उगाये जाते हैं। यह कार्बनिक एवं अकार्बनिक प्रकृति का हो सकता है। उदाहरण-

पीट- यह जलीय मार्श या दलदल में वनस्पति के आंशिक रूप से विघटित होने से बनता है। इसकी जल धारण क्षमता बहुत अधिक होती है।

कोकोपीट- यह नारियल के छिलके से बना उत्पाद है। कोकोपीट वायुसंचार प्रदान करने के लिए सबसे अच्छा है।

परलाइट- यह ज्वालामुखी चट्टानों से निर्मित अकार्बनिक ग्रे, सफेद सिलिकेसियस सामग्री है। इसका पी.एच. सामान्य होता है। परलाइट आपेक्षिक घनत्व को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें नमी या पौधे के लिए कोई भी पोषक तत्व नहीं होते हैं।


वर्मीकुलाइट- नर्सरी उद्योग में वर्मीकुलाइट एक बहुत ही उपयोगी सामग्री है। इसको कम समय में मिक्स कर सकते हैं। पौधे तैयार करने में इसका सबसे अधिक महत्व है। यह एक उच्च विनिमय क्षमता वाली सामग्री है। यह लीचिंग के माध्यम से पोषक तत्वों की हानि को कम करने में सक्षम है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम की कमी होती है।


प्लग ट्रे में पौधे तैयार करने के लिए मृदा रहित माध्यम का प्रयोग किया जाता है। इसमें रोपण सामग्री रोगों से ग्रसित नहीं होती है।

हार्डनिंग की प्रक्रिया

    पौधे की रोपाई करने से पहले उसकी हार्डनिंग की जाती है ताकि पौधे खुले वातावरण में संक्रमण का सामना कर सकें। आमतौर पर पौध को अधिक या कम तापमान, प्रकाश में लाने और उच्च प्रकाश तीव्रता क्षेत्र में रोपने से 1 या 2 सप्ताह पहले हार्डनिंग के लिए रखा जाता है। हालांकि, इस प्रकिया में प्रकाश संश्लेषण की दर को कम नहीं किया जाना चाहिए। बहुत अधिक हार्डनिंग वाली पौध को नहीं लगाना चाहिए इससे परिपक्वता में देरी हो सकती है और कुछ मामलों में फसल की पैदावार में भी कमी हो सकती है।


रोपाई के लिए पौध की उम्र और उसका निर्धारण

    सब्जी फसलों की रोपाई अधिकतर पौध की उम्र तथा सेल के आकार के उपयोग के ऊपर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर बड़े आकर के सेल अधिक परिपक्व पौध रोपण अधिक उत्पादन में सक्षम होते हैं। बड़े सेल्स में उगाई गई पौध की अपेक्षा छोटे सेल्स में उगाई गई पौध से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।

    नर्सरी में पौध की अच्छी देखभाल (जानवरों, खरपतवारों और कीटों से सुरक्षा) करनी चाहिए। विशेष रूप से बोने योग्य भूमि की दृष्टि से विकास के प्रारम्भिक चरण में सबसे अधिक सब्जियों की फसल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।


प्रो-ट्रे में नर्सरी तैयार करने हेतु कदम

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कोकोपीट, परलाइट और वर्मीकुलाइट को पानी में भिगोयें अतिरिक्त पानी को निकालें                          

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कोकोपीट, परलाइट और वर्गीकुलाइट को 3:1:1 के अनुपात में मिलायें

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इनको अच्छी तरह मिलायें

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दो NT-90 प्रो-ट्रे लें (2% फोर्मेलिन के घोल से प्रो ट्रे को साफ करें और धूप में सुखायें)

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प्रो-ट्रे को थर्मोट्रे

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सभी कैविटी को मिश्रण से भरे

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प्रत्येक कैविटी के मध्य में एक छोटा छेद बनायें (पेन्सिल के आकार की मोटाई की छड़ी से )

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छेद के मध्य में बीज डालें

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बीज को वर्मीकुलाइट की एक परत से अच्छी प्रकार से ढकें

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स्प्रिंकलर से पानी दे कर 10-12 ट्रे एक के ऊपर एक रखें

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पारदर्शी पॉलीथिन /कॉटन के कपड़े से ट्रे को ढक दें

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अंकुरण के बाद पॉलीथिन / कपडे को हटा दें तथा ट्रे को ग्रीनहाउस में बैंच पर रखें



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