जैविक खेती - कीट नियंत्रण के घरेलू नुस्खे
इल्ली नियंत्रण के तरीके :
- 5 लीटर देशी गाय के मठ्ठे में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिनों तक सड़ाएँ, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें। इस नीमयुक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से समान रूप से फसल पर छिड़काव करें। इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है।
- 5 लीटर मट्ठे में 1 किलो नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन सड़ने दें। इसके बाद मिश्रण को छानकर व छिड़क कर झल्लियों का नियंत्रण करें।
- 5 किलो नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब आधा रह जाये तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें। इस मिश्रण में 2 लीटर गौ-मूत्र मिलायें। अब यह मिश्रण 1 एकड़ के मान से छिड़कें।
- डेड़ किलो हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान लें तथा 1 एकड़ के लिए इस घोल का छिड़काव करें।
- मारूदान, तुलसी (श्यामा) तथा गेंदें के पौधे फसल के बीच में लगाने से इल्ली का नियंत्रण होता है।
दीमक नियंत्रण :
मक्के के भुट्टे से दान निकालने के बाद जो गिण्डीयों बचती हैं, उन्हें एक मिट्टी के घड़े में इकट्ठा कर लें। इस घड़े को खेत में इस प्रकार गाड़ें कि घड़े का मुंह जमीन से कुछ बाहर निकला हो। घड़े के ऊपर कपड़ा बाँध दें तथा उसमें पानी भर दें। कुछ दिनों में ही आप देखेंगे कि घड़े में दीमक भर गई हैं। इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें ताकि दीमक समाप्त हो जायें। इस प्रकार के घड़े को खेत में 100-100 मीटर की दूरी पर गड़ाएँ एवं करीब 5 बार गिण्डीयाँ बदलकर यह क्रिया दोहरायें। खेती में दीमक समाप्त हो जावेगी।
सुपारी के आकार की हींग को एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली में रख दें। इससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जाएंगें।
उगरा नियंत्रण :
1 लीटर मठ्ठे में चने के आकार के 3 हींग के टुकड़े मिलाकर उससे चने का बीजोपचार करें तत्पश्चात् बोनी करें। सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं मसूर के बीजों को अधिक गीला न करें।
400 ग्राम नीम के तेल में 100 ग्राम कपड़े धोने वाला पाउडर डालकर खूब फेंटे, फिर इस मिश्रण में 150 लीटर पानी डालकर घोल बनायें। यह एक एकड़ के लिये पर्याप्त है।
चूहा नियंत्रण :
5 किलो बेशरम के पत्ते लें तथा धूतरे के 3 फल फोड़कर 5 लीटर पानी में मिलायें तथा उसे उबालें जब पानी 2 लीटर के करीब रह जायें तब वह मिश्रण को छान लें। बचे हुए पत्ते जमीन में गाड़ दें क्योंकि ये अत्यंत जहरीले होते हैं। अब इस घोल में 1 किलो चने डालकर उबालें तथा ठंडा होने के बाद चने, चूहे के बिल के पास डाल दें।
अनाज भण्डारण:
आधा किलो प्याज 1 बोरी अनाज में रखने से घुन नहीं लगती।
2 लहसुन की पौथी 5 किलो चावल की दर से रखने से घुन, चींटी और तिलचट्टे से बचाव होता है।
जंगली तुलसी (पांचाली) तथा गुलसितारा की पत्तियाँ अनाज में मिलाकर रखने से घुन नहीं लगती है।
लकड़ी की राख व नीम की सूखी पत्ती का चूर्ण मिलाकर रखने से भी घुन नियंत्रण होता है।
मच्छर की दवा :
गन्दे पानी की नाली पर गेंदे के पौधे लगाने से मच्छर नहीं पनपते।
गेंदा तथा नीम के पत्तों को नालियों और डबरों में डालने से मच्छर नष्ट होते हैं।
वन तुलसी या जंगली तुलसी (पांचाली), नीलगिरी, नीम, बेशरम तथा गेंदे की पत्तियों को समभाग लेकर बारीक पीस लें तथा बिस्किट बराबर टिकिया बनाकर छाया में सुखा लें। मच्छर वाले स्थान पर टिकियों का धुंआ कर दें।
चुरडा मुरडा का नियंत्रण :
5 लीटर छांछ को तांबे या अन्य वर्तन में प्लास्टिक जार में भरकर भूसे के अन्दर 8-10 दिनों तक गाड़कर रखें। बाद में उससे 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। टमाटर या मिर्च का चुरडा मुरडा नियंत्रण होता है।
काँस का नियंत्रण :
पलास के पत्तों को कांस पर विछाने से कांस नष्ट होती है।
फलोत्पादन के उपाय :
गाय के जेर (रस) प्लाज्मा से निकला हुआ पानी 250 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी की दर से फूल वाली अवस्था में फसलों पर छिड़काव करें। इससे फसल उत्पादन बढ़ेगा तथा जिन पाधों पर फूल नहीं आ रहे हैं वे भी फलेंगे। जैसे आम, जाम, कटहल आदि ।
कपास फसल में कीट नियंत्रण :
रस चूसक कीट नियंत्रण :
फसलों की 30 से 35 दिन की अवस्था में हरा माहो, भूरा माहो, थ्रिप्स आदि के नियंत्रण के लिए 25-30 किलो निंबोली चूर्ण. 500 ग्राम तम्बाखू एवं 15 लीटर गोमूत्र में 48 घण्टे गलाने के पश्चात् छानकर प्रति हेक्टेयर से छिड़काव करें।
सेमीलूपर एवं पत्ती काटने वाले कीड़े :
फसल की 45-60 दिन की अवस्था पर 10 किलो अकाव के पत्ते 10 किलो बेशरम के पत्ते एवं 10 किलो नीम के पत्तों को 15 लीटर गोमूत्र में मिलाकर 48 घण्टे पश्चात् मसलकर छानकर पानी मिलाकर छिड़काव करने से सेमीलूपर एवं पत्ती काटने वाले कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है।
लहसुन में कीट नियंत्रण :
नीम की पत्ती 3 किलोग्राम, तम्बाखू 250 ग्राम तथा बेशरम की पत्ती 50 ग्राम पानी में मिलाकर कुछ दिन रखें। अच्छी तरह सड़ने और छानने के बाद 200 ग्राम घोल को 15 लीटर पानी के मान से मिलाकर फसल पर छिड़काव करें।
चने की फसल में कीट नियंत्रण :
- खेतों में जगह-जगह पर लकड़ी की टी लगा कर रखें। ताकि उस टी पर चिड़िया बैठकर झल्लियों का प्राकृतिक नियंत्रण करें।
- चने के साथ सरसों व सूरजमुखी के अंतरवर्तीय फसल 6-2 के अनुपात में बोने से भी चने की इल्ली का प्राकृतिक कीट नियंत्रण होता है, क्योंकि चिड़ियाएँ सरसों और सूरजमुखी की डालियों पर आसानी से बैठती हैं और चने पर लगने वाली झल्लियों का नियंत्रित करती हैं।
- पक्षियों को आकर्षित करने के लिए खाली खेत में जगह-जगह मुट्ठी भर ज्वार के दाने बिखेर दें।
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