SPI System of Pigeonpea Intensification रोपा पद्धति से अरहर लगाऐं दुगना लाभ कमाऐं
अरहर की खेती मे हानि को कम करते हुए दुगने से भी अधिक लाभ कमाने की नई और लोकप्रिय पद्धति है अरहर की रोपा पद्धति।
रोपा पद्धति के लाभ:-
- प्रति एकड कम बीज दर का उपयोग
- 15 दिसम्बर तक फसल तैयार
- कम बारिश मे भी अधिक उत्पादन
- प्रति एकड 12 से 15 क्विं0 तक उत्पादन
- ओला पाला से होने वाले नुकसान का भय नही होता।
- तने की मोटाई अधिक होने के कारण ईधन के रूप मे उपयोग
विधि:-
रोपा से खेती करने के दो स्तर है प्रथम नर्सरी तैयार करना दूसरा रोपाई
नर्सरी तैयार करनाः-
नर्सरी तैयार करने हेतु काली पोलीथीन जोकी समान्यतः उद्यानकी फसलों हेतु प्रयोग की जाति है का उपयोग किया जाता है।
- मई के अन्तिम सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह के मध्य अरहर की नर्सरी तैयार की जाती है।
- 1 एकड हेतु 3000 पोलीथीन की आवश्यकता होती है।
- पोलीथीन का आकार 5”X7” का हो।
- पोलीथीन मे 60ः40 के अनुपात मे उपजाऊ मिट्टी तथा कम्पोस्ट खाद मिलाकर भर लें।
- बोनी के पूर्व फफूंदनाशक दवा 2 ग्राम थायरम + 1 ग्राम कार्बेन्डेजिम या वीटावेक्स 2 ग्राम+5 ग्राम ट्रयकोडरमा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें
- उपचारित बीज को राइजोबियम कल्चर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें।
- उपचारित बीज को पूर्व मे तैयार प्रत्येक पोलीथीन मे एक-एक मात्रा मे डालें ।
- तैयार नर्सरी आंगन,बाडे,या अन्य सुविधा जनक स्थान पर रख लें।
- हजारे की सहायता से सिंचाई करते रहें।
उन्नत किस्मेंः-
- कम अवधि कीः- उपास-120,आई0सी0पी0एल0-87,टी0जे0टी0-501
- मध्यम अवधि कीः- आई0सी0पी0-8863,जे0के0एम0-189, आई0सी0पी0एच0-2671
- लंबी अवधि कीः- एम0एल0-3,ग्वालियर-3
अरहर की रोपाई:-
नर्सरी तैयार करने के एक माह बाद जब बरसात चालू हो जाए तब अरहर के पौधों की रोपाई की जाती है।
- 20-25 कि0ग्रा0 नत्रजन,40-50 कि0ग्रा0 स्फूर,20-25 कि0ग्रा0 पोटाश व 20 कि0ग्रा0 गंधक प्रति हे0 के हिसाब से खाद एवं उर्वरकों की मात्रा अरहर हेतु अनुशंसित की जाति है।
- उर्वरकों की थोडी-थोडी मात्रा रोपाई हेतु तैयार गड्ढों मे डालकर पौधे की रोपाई की जाती है
- खेत की तैयारी के पश्चात किसान अरहर की रोपाई 3X3 फीट या 4X3 फीट या 5X3 फीट पर कर सकते हैं।
- रोपाई के कुछ दिन बाद पौधों की उपरी कलियों की तुडाई या छटाई कर दें।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमेथीलिन 1.25 कि0ग्रा0 सक्रिय तत्व/हे0
- नबम्वर माह मे फूल तैयार हो जाते हैं तथा दिसम्बर मे फल्लियाॅं तैयार हो जाती हैं।
- जनवरी माह से पूर्व फल्लियाॅं तैयार हो जाने के कारण ओला पाला से होने वाले नुकसान का भय नही होता।
- किसान को प्रति एकड 12-15 क्वि0 तथा प्रति हे0 35-38 क्वि0 तक उपज प्राप्त होती है।
nice
जवाब देंहटाएंUseful information 🙏🏻
जवाब देंहटाएंAmazing technology
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