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मल्चिंग (पलवार) एवं जल संरक्षण

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     मल्चिंग (पलवार) - मृदा एवं जल संरक्षण के लिए पौधे के चारों ओर की मिट्टी को फसल अवशेष, भूसा, प्लास्टिक शीट से ढकने की प्रकिया को मल्चिंग कहते हैं। मल्चिंग का मुख्य उद्देश्य मृदा की सतह को वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से होने वाली नमी की क्षति को कम करना, खरपतवारों की वृद्धि को अवरोधित करना एवं फसल को दिये जाने वाले खाद व पोषक तत्वों की पूर्ण उपलब्धता पौधों के लिए सुनिश्चित करना है। प्लास्टिक मल्चिंग के लाभ मृदा कटाव से सुरक्षा । नमी संरक्षण में सहायक। मृदा के तापमान को बनाए रखने में सहायक। जड़ों के विकास में सुधार। फसलों की उत्पादकता में बढोत्तरी। साफ-सुथरा खेत दिखाई देता है। अच्छी मल्च के गुण आसानी से उपलब्ध होने वाली हो। लचीली और आसानी से फैलने वाली हो। यह पौधों के हानिकारक नहीं होनी चाहिए। प्रकाश और मापमान का कुचालक होती है। मल्च के प्रकार 1. कार्बनिक मल्च - घास की कर्तन, पुआल, सूखी घास, पत्तियों, एवं कम्पोस्ट आदि। कार्बनिक मल्च लाभ मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ता है। मिट्टी की सभी संरचनाओं में सुधार करती है मिट्टी को मुलायम बनाता है जिससे मिट्टी में पानी का रिसाव और जल धारण क्षमता