धान रोपाई यंत्र

  धान मध्यप्रदेश की प्रमुख खरीफ की फसल है जिसका हमारे प्रदेश में औसत उत्पादन राष्ट्रीय औसत से कम है। वर्तमान धान को बोने और लगाने की बहुत विधियों जैसे श्री पद्धति, रोपाई पद्धति, सीधी बुवाई पद्धति आदि है। जो बहुत समय से की जा रही है। रोपाई पद्धति में श्रमिकों की कमी होने के कारण यांत्रिक विधि की उपयोगिता बढ़ जाती है। एवं वर्तमान में यह लागत को कम करने वाला सिद्ध हुआ है। जिसका विवरण निम्नानुसार है।


नर्सरी की तैयारी:-

01. अंकुरित बीज 1-2 दिन

02. बीज की मात्रा 18-20 किग्रा. प्रति एकड़

03. पॉलीथीन सीट : 20 मीटर लंबाई X 1 मीटर चौड़ाई

04. आयताकार फ्रेम : 1 मीटर लंबाई X 1 मीटर चौड़ाई X 2 इंच ऊँचाई (6 ब्लॉक)

05. मिट्टी छनी हुई 10 बोरी

06. गोबर खाद : 2 बोरी



विधि - सर्वप्रथम पॉलीथीन शीट को समतल खेत में बिछाया जाता है बिछाने के पश्चात छनी हुई मृदा एवं गोबर खाद का मिश्रण तैयार किया जाता है। तैयार मिश्रण को नमीयुक्त करने के पश्चात फ्रेम को पॉलीथीन शीट पर रखा जाता है। एवं तैयार मिश्रण को फ्रेम में डाला जाता है। एवं फिर अंकुरित बीज को फ्रेम पर डाला जाता है। इस प्रकार औसतन प्रति वर्ग मीटर 120 ग्राम बीज लगता है। और फ्रेम को बहुत सावधानी से अलग कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया फिर दोहराई जाती है। जब तक संपूर्ण बीज का उपयोग न हो जाए। तत्पश्चात धान पैरा या पुआल से नर्सरी को ढंक दिया जाता है। और हल्की सिंचाई दी जाती है। 3-4 दिन पश्चात पैरा या पुआल को हटा दिया जाता है। और नर्सरी में 2 इंच पानी रखा जाता है। इस प्रकार नर्सरी 20 दिनो में यांत्रिक विधि से रोपाई के लिये तैयार हो जाती है।


  


खेत की तैयारी:- 

    खेत जुताई करके पाटा चलाया जाता है और खेत को समतल कर लिया जाता है। निर्धारित मात्रा में खाद एवं उर्वरक मिलाया जाता है खेत नमीयुक्त हो (लेकिन अधिक पानी भरा नहीं होना चाहिये)

ट्रांसप्लांटर का उपयोगः- 

    नर्सरी तैयार होने के पश्चात यंत्र के प्लेट पर नर्सरी केक को सेट किया जाता है और ट्रांसप्लांटर में केज व्हील लगाकर खेत में उतार दिया जाता है। इस प्रकार ट्रांसप्लांटर एक घण्टे में एक एकड़ खेत में रोपाई पूरी कर लेता है।

  

सावधानियाँ:-

  • 1. नर्सरी अधिक अवधि की नही होनी चाहिये।
  • 2. खेत में रोपाई के समय खेत में पानी भराव नही होना चाहिये।
  • 3. खेत में रोपाई के समय समतल होना चाहिये।
  • 4. नर्सरी समतल खेत में तैयार की जानी चाहिये।
  • 5. नर्सरी में चार दिनों के पश्चात पैरा या पुआल को हटा देना चाहिये।

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