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हल्दी की वैज्ञानिक खेती
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हल्दी प्रमुख मसाला फसल है। हल्दी का उपयोग हमारे भोजन में नित्यदिन किया जाता है इसका सभी धार्मिक कार्यों में मुख्य स्थान प्राप्त है। इसे भारती केसर भी कहा जाता है भारत दुनिया में सब से ज्यादा हल्दी उगाने, खाने और निर्यात करने वाला देश है। भारत में यह फसल आंध्रा प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक और केरल में उगाई जाती है। हल्दी का काफी औषधीय गुण है इसमें कैंसर और विषाणु विरोधी तत्व पाए जाते हैं। इसका उपयोग दवा एवं सौन्दर्य प्रसाधनों में भी होता है। जलवायु हल्दी की खेती उष्ण और उप-शीतोष्ण जलवायु में की जाती है। फसल के विकास के समय गर्म एवं नम जलवायु उपयुक्त होती है परन्तु गांठ बनने के समय ठंड 25-30 डिग्री से. ग्रेड जलवायु की आवश्यकता होती है। किस्म राजेन्द्र सोनिया : इस किस्म के पौधे छोटे यानि 60-80 सेमी. ऊँची तथा 195 से 210 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की उपज क्षमता 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा पीलापन 8 से 8.5 प्रतिशत है। आर.एच. 5 : इसके पौधे भी छोटे यानि 80 से 100 सेमी. ऊँची तथा 210 से 220 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की उपज क्षमता 500 से 550 क्विं
अजोला अपनाऐं धान के लिए जैविक खाद एवं पशुओं के लिए सदाबहार चारा पाऐं
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अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधो के जाति का होता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में फर्न कहा जाता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नत्रजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नत्रजन की पूर्ति करता है अजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकूल वातावरण में ५ दिनों में ही दो - गुना हो जाता है एजोला में ३ . ५ प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। अजोला का उत्पादन किसी भी छायादार स्थान पर 2 मीटर लंबा , 2 मीटर चौड़ा तथा 30 सेमी . गहरा गड्ढा खोदा जाता है। पानी के रिसाव को रोकने के लिए इस गड्ढे को प्लास्टिक शीट से ढंक देते है। गड्ढे में 10-15 किग्रा . मिट्टी फैलाते है। इसके अलावा 2 किग्रा . गोबर एवं 30 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट 10 लीटर पानी में मिलाकर गड्ढे में डाल देते है। पानी का स्तर 10-12 सेमी . तक होना चाहिए। अब 500-1000 ग्राम अजोला कल्चर गड्ढ