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मधुमक्खी पालन

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   मधुमक्खी पालन एक लघु उद्योग है जिसमे हमें बहुगुणीय शहद एवं मोम प्राप्त होता है। इसके साथ-साथ मधुमक्खी का कृषि उत्पादन बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान है। क्योंकि अधिकतर फसलों पर परागण की क्रिया में भी यह सहायक है। अतः यह कीट किसानो का सच्चा मित्र है यही कारण है कि मधुमक्खी पालन धीरे-धीरे कुटीर उद्योग का रूप धारण कर रहा है। उद्योग शुरू करने एवं अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये मधुमक्खी पालक को निम्नांकित बातो का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। जगह का चुनावः   मधुमक्खी पालन की जगह समतल एवं ऐसी हो जहाँ ताजा हवा पानी, छाया तथा धूप हो इसके अलावा आस-पास पानी का जमाव, भारी वाहनो के आने-जाने के लिये सड़क या आबादी नहीं होना चाहिये। मधु का प्राकृतिक स्त्रोतः   कुछ पौधे ऐसे होते है जो सिर्फ पुष्प रस प्रदान करते है, कुछ ऐसे रहते है जो सिर्फ पराग प्रदान करते हैं, मधुमक्खी प्रायः उसी फूलों पर जाती है जो पराग तथा पुष्प रस दोनों प्रदान करते है। अतः पराग स्त्रोत पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं होना चाहिये। जिनकी सूची निम्नानुसार है- फलदार एवं जंगली वृक्षः अमरूद, आम केला. नीबू वर्गीय फल बेर इगली जाम

SPI System of Pigeonpea Intensification रोपा पद्धति से अरहर लगाऐं दुगना लाभ कमाऐं

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  अरहर की खेती मे हानि को कम करते हुए दुगने से भी अधिक लाभ कमाने की नई और लोकप्रिय पद्धति है अरहर की रोपा पद्धति।  रोपा पद्धति के लाभ:- प्रति एकड कम बीज दर का उपयोग 15 दिसम्बर तक फसल तैयार कम बारिश मे भी अधिक उत्पादन प्रति एकड 12 से 15 क्विं0 तक उत्पादन ओला पाला से होने वाले नुकसान का भय नही होता। तने की मोटाई अधिक होने के कारण ईधन के रूप मे उपयोग  विधि:-      रोपा से खेती करने के दो स्तर है प्रथम नर्सरी तैयार करना दूसरा रोपाई  नर्सरी तैयार करनाः-                     नर्सरी तैयार करने हेतु काली पोलीथीन जोकी समान्यतः उद्यानकी फसलों हेतु प्रयोग की जाति है का उपयोग किया जाता है। मई के अन्तिम सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह के मध्य अरहर की नर्सरी तैयार की जाती है। 1 एकड हेतु 3000 पोलीथीन की आवश्यकता होती है। पोलीथीन का आकार 5”X7” का हो।  पोलीथीन मे 60ः40 के अनुपात मे उपजाऊ मिट्टी तथा कम्पोस्ट खाद मिलाकर भर लें। बोनी के पूर्व फफूंदनाशक दवा 2 ग्राम थायरम + 1 ग्राम कार्बेन्डेजिम या वीटावेक्स 2 ग्राम+5 ग्राम ट्रयकोडरमा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें उपचारित बीज को राइजोबियम कल्चर 10 ग्र

Good Bugs and Bad Bugs

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जैविक खेती - कीट नियंत्रण के घरेलू नुस्खे

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इल्ली नियंत्रण के तरीके : 5 लीटर देशी गाय के मठ्ठे में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिनों तक सड़ाएँ, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें। इस नीमयुक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से समान रूप से फसल पर छिड़काव करें। इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है। 5 लीटर मट्ठे में 1 किलो नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन सड़ने दें। इसके बाद मिश्रण को छानकर व छिड़क कर झल्लियों का नियंत्रण करें। 5 किलो नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब आधा रह जाये तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें। इस मिश्रण में 2 लीटर गौ-मूत्र मिलायें। अब यह मिश्रण 1 एकड़ के मान से छिड़कें। डेड़ किलो हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान लें तथा 1 एकड़ के लिए इस घोल का छिड़काव करें। मारूदान, तुलसी (श्यामा) तथा गेंदें के पौधे फसल के बीच में लगाने से इल्ली का नियंत्रण होता है। दीमक नियंत्रण : मक्के के भुट्टे से दान निकालने के बाद जो गिण्डीयों बचती हैं, उन्हें एक मिट्टी के घड़े में इकट्ठा कर लें। इस घड़े को खेत में इस प्रकार गाड़ें कि घड़े का म

Rice Transplanter

 

PM FME - Pradhan Mantri Micro Food Industry Upgradation Scheme

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  The Ministry of Food Processing Industries has launched "PM FME - Pradhan Mantri Micro Food Industry Upgradation Scheme" on all India basis to provide financial, technical and business support for upgradation of existing micro food enterprises in partnership with the State/UT Government. The objectives of the scheme are as follows:- Assistance for capital investment for gst, FSSAI sanitation standards and registration for Udyog Base as well as upgradation and formalization. Capacity building through skilled training, technical knowledge on food safety standards and hygiene and quality improvement. Hand-holding assistance for preparation of bank credit and DPR. Assistance to Farmer Producer Organizations (FPOs), Self Help Groups (SHGs), Producer Cooperatives for capital investment, infrastructure and branding and marketing support. One District One Product      The scheme will provide an opportunity to avail the benefits of procurement of inputs, availing common services and

पीएम एफएमई - प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना

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       खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार की भागीदारी में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी एवं कारोबार सहायता देने के लिए अखिल भारतीय आधार पर “पीएम एफएमई - प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’’ शुरू की है।  योजना के उद्देश्य निम्न हैंः- जीएसटी, एफएसएसएआई स्वच्छता मानकों और उद्योग आधार के लिए पंजीकरण के साथ-साथ उन्नयन एवं फाॅर्मलाइजेशन के लिए पूंजी निवेश हेतु सहायता। कुशल प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों एवं स्वच्छता के संबंध में तकनीकी जानकारी देने एवं गुणवत्ता सुधार के माध्यम से क्षमता निर्माण। बैंक ऋण एवं डीपीआर तैयार करने के लिए हैंड-होल्डिंग सहायता। पूंजी निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा ब्रांडिंग एवं विपणन सहायता के लिए कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ), स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी), उत्पादक सहकारिताओं को सहायता। एक जिला एक उत्पाद      इस योजना में एक जिला एक उत्पाद दृष्टिकोण के तहत इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं का लाभ लेने तथा उत्पादों के विपणन के लाभों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। राज्य मौजूदा समूहों और कच्ची साम

Reaper Binder

 

Soil testing

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Balanced plant nutrition is very  important for better crop production and soil health, for proper plant nutrition, information about the presence of various major and secondary nutrients available in the soil of the field is available through soil testing. On the basis of soil test results obtained, farmers can get more production by using balanced amount of fertilizers.   What is soil test      Soil testing is the process of assessing the available quantities of nutrients required for proper growth and development of plants in the soil of the field as well as checking various soil developments such as soil salinity, alkalinity and acidity. Need for soil testing        Sixteen nutrients have been found to be essential for proper growth and development of plants. It is an essential nutrient. Carbon, hydrogen, oxygen, nitrogen, phosphorus, potash, calcium, magnesium and sulfur (essential nutrients in major or high quantities) of these nutrients are often obtained by plants from air and

मिट्टी परीक्षण (Soil Testing)

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    बेहतर फसल उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य हेतु संन्तुलित पौध पोषण परम आवश्यक होता है उचित पौध पोषण हेतु खेत की मिट्टी में उपलब्ध विभिन्न प्रमुख एवं गौण पोषक तत्वों की उपस्थित मात्रा की जानकारी मिट्टी परीक्षण द्वारा सुलभ होती है । प्राप्त मिट्टी परीक्षण परिणामो के आधार पर कृषक बन्धु उर्वरको का सन्तुलित मात्रा में उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है ।   मिट्टी परीक्षण क्या है       खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करना साथ ही विभिन्न मृदा विकास जैसे मृदा- लवणीयता, क्षारीयता एवं अम्लीयता की जांच करना मिट्टी परीक्षण कहलाता है ।  मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता        पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास के लिये सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक पाये गये है । यह अनिवार्य पोषक तत्व है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर ( मुख्य या अधिक मात्रा मे लगने वाले आवश्यक पोषक तत्व ) इन पोषक तत्वों मे से प्रथम तीन तत्वों को पौधे प्राय: वायु व पानी से प्राप्त कर